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तेलुगु हनुमान जयंती अलग क्यों मनाई जाती है? साल 2023 में कब है Telugu Hanuman Jayanthi

Telugu Hanuman Jayanthi 2023 : उत्तर भारत में हनुमान जयंती की तिथि अलग है और दक्षिण भारत में अलग। कुछ राज्यों में अलग अलग मान्यता के अनुसार अलग अलग तिथियों को बजरंगबली जी की जयंती मनाई जाती है। तेलुगु हनुमान जयंती भी प्रचलित मान्यता से अगल तिथि या दिनांक के दिन होती है। इस बार तेलुगु हनुमान जन्मोत्सव 14 मई को मनाई जाएगी।

 

तेलुगु में कब है हनुमान जयंती | When is Hanuman Jayanti in Telugu?

 

उत्तर भारत में हनुमानजी जयंती 6 अप्रैल को थी।

उत्तर और दक्षिण भारत में नरक चतुर्दशी के दिन भी हनुमान जयंती मनाई जाती है।

इसी तरह तमिलनाडु में 11 जनवरी को हनुमान जयंती मनाई गई।

अब तेलुगु, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में 14 मई को हनुमान जयंती मनाएंगे।

कन्नड़ में 24 दिसंबर को हनुमान जयंती मनाएंगे।

 

तेलुगु हनुमान जयंती अलग क्यों मनाई जाती है | Why is Telugu Hanuman Jayanti celebrated separately?

दरअसल, आंध्र, तेलंगाना या तेलुगु में हनुमान जन्म उत्सव चैत्र माह की पूर्णिमा वैशाख माह की दशमी तक चलता है। दशमी को हनुमान जयंती मनाते हैं।

यहां पर भक्त चैत्र पूर्णिमा पर 41 दिनों की दीक्षा शुरू करते हैं और हनुमान जयंती के दिन इसका समापन करते हैं।

हालांकि यह भी कहते हैं कि आंध्र, तेलंगाना या तेलुगु जैसे दक्षिणी क्षेत्रों में, हनुमान जयंती उस दिन के उपलक्ष्य में मनाई जाती है जब भगवान हनुमानजी भगवान राम से मिले थे।

कैसे करते हैं हनुमान उपासना | How to worship Hanuman?

आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में भक्त लोग 41 दिन का उपवास रखते हैं जो हनुमान जयंती पर समाप्त होता है।

इस 41 दिनों के लंबे उपवास की अवधि में, भक्त धूम्रपान से परहेज करते हैं और शराब और मांस का सेवन नहीं करते हैं।

सभी तेलुगु उपासक पूरे व्रत काल में एक विशेष हनुमान दीक्षा माला और नारंगी धोती पहनते हैं। व्रत के दौरान नंगे पैर भी चलते हैं। 

भक्त प्रतिदिन हनुमान चालीसा का पाठ करते हैं और भगवान हनुमान को प्रसन्न करने के लिए बंदरों को भोजन कराते हैं।

यह भी देखा जाता है कि लोग राम स्तोत्र का जाप करते हुए घी का दीया जलाते हैं। 

हनुमानजी की पूजा की रस्म में मूर्ति के शरीर पर सिंदूर और तेल लगाना भी शामिल है।

भक्त गुलाब और गेंदा जैसे फूल चढ़ाते हैं। विभिन्न खाद्य पदार्थ जैसे लड्डू, हलवा, केला और अन्य मीठे पदार्थ भी मूर्ति को चढ़ाए जाते हैं।