Puja

शीतला सप्तमी 2023 : पूजा विधि, शुभ मुहूर्त, मंत्र, आरती, चालीसा और उपाय

Mata Sheetla Worship 
 

आज 14 मार्च को शीतला सप्तमी पर्व मनाया जा रहा है। मान्यतानुसार माता शीतला देवी भगवती दुर्गा का ही रूप है। अत: इस दिन शीतला माता का पूजन करके उन्हें बासी खाने का भोग लगाया जाता है।

शीतला सप्तमी तथा अष्टमी के दिन पूजन से पूर्व गैस अथवा चूल्हा न जलाने की परंपरा भी आज तक चली आ रही है। इस दिन घर की महिलाएं बच्चों की लंबी उम्र तथा अच्छे जीवन के लिए श्रद्धा एवं विश्‍वास के साथ माता का पूजन करती है। अधिकतर सभी घरों में इस दिन परिवार के सभी लोग माता शीतला की उपासना करके ठंडा/ बासी भोजन ग्रहण करते हैं। 

 

आइए जानते हैं इस पर्व से जुड़ी खास जानकारी यहां पर- 

 

पूजा विधि- Puja VIdhi

 

– शीतला सप्तमी यानी चैत्र कृष्ण सप्तमी के दिन सुबह जल्दी उठकर माता शीतला का ध्यान करें। 

– व्रतधारी प्रातः कर्मों से निवृत्त होकर स्वच्छ व शीतल जल से स्नान करें।

– तत्पश्चात निम्न मंत्र से संकल्प लें- ‘मम गेहे शीतलारोगजनितोपद्रव प्रशमन पूर्वकायुरारोग्यैश्वर्याभिवृद्धिये शीतलाष्टमी व्रतं करिष्ये’

– इसके बाद विधि-विधान से तथा सुगंधयुक्त गंध-पुष्प आदि से माता शीतला का पूजन करें।

– महिलाएं इस दिन मीठे चावल, हल्दी, चने की दाल और लोटे में पानी लेकर शीतला माता का पूजन करें।

– पूजन के समय ‘हृं श्रीं शीतलायै नम:’ मंत्र जपते रहें।

– माता शीतला को जल अर्पित करने के पश्चात जल की कुछ बूंदे अपने ऊपर भी छिड़कें।

– फिर एक दिन पहले बनाए हुए (ठंडे) खाद्य पदार्थों, मेवे, मिठाई, पूआ, पूरी, दाल-भात, मीठे चावल तथा गुड़-चावल के पकवान आदि का माता को भोग लगाएं। 

– तत्पश्चात शीतला स्तोत्र का पाठ पढ़ें और कथा सुनें।

– माता शीतला का वास वटवृक्ष में माना जाता है, अतः इस दिन वट का पूजन करना ना भूलें।

– तत्पश्चात माता को चढ़ाएं जल में से बह रहे जल में से थोड़ा जल अपने लोटे में डाल लें तथा इसे परिवार के सभी सदस्य आंखों पर लगाएं और थोड़ा जल घर के हर हिस्से में छिड़क दें, मान्यतानुसार यह जल पवित्र होने से इससे घर की तथा शरीर की शुद्धि होती है। 

– शीतला सप्तमी के दिन बासी भोजन को ही ग्रहण करें। ज्ञात हो कि इस व्रत के दिन घरों में ताजा यानी गर्म भोजन नहीं बनाया जाता है, अत: इस दिन एक दिन पहले बने ठंडे या बासी भोजन को ही मां शीतला को अर्पित करने तथा परिवारसहित इसी भोजन को ग्रहण करने की परंपरा है।

 

शीतला सप्तमी 2023 के शुभ मुहूर्त- sheetala saptami shubh muhurt  

 

शीतला सप्तमी 14 मार्च 2023, मंगलवार को 

शीतला सप्तमी तिथि का प्रारंभ- 13 मार्च 2023 को 09.27 पी एम से 

सप्तमी तिथि का समापन- 14 मार्च 2023 को 08.22 पी एम पर। 

शीतला सप्तमी पर पूजन का शुभ मुहूर्त- 06.33 ए एम से 06.29 पी एम तक

कुल अवधि- 11 घंटे 56 मिनट्स

 

दिन का चौघड़िया

चर- 09.32 ए एम से 11.01 ए एम

लाभ- 11.01 ए एम से 12.31 पी एम

अमृत- 12.31 पी एम से 02.00 पी एम

शुभ- 03.30 पी एम से 04.59 पी एम

 

रात का चौघड़िया

लाभ- 07.59 पी एम से 09.29 पी एम

शुभ- 11.00 पी एम से 15 मार्च को 12.30 ए एम तक।

अमृत- 12.30 ए एम से 15 मार्च को 02.00 ए एम तक।

चर- 02.00 ए एम से 15 मार्च को 03.31 ए एम तक। 

 

मंत्र- 

– ‘हृं श्रीं शीतलायै नम:’ 

– ‘ॐ ह्रीं श्रीं शीतलायै नम:’

– ‘वन्देऽहं शीतलां देवीं रासभस्थां दिगम्बरराम्‌, 

मार्जनीकलशोपेतां शूर्पालंकृतमस्तकाम्‌।’

-‘शीतले त्वं जगन्माता, शीतले त्वं जगत् पिता।

शीतले त्वं जगद्धात्री, शीतलायै नमो नमः’।

 

शीतला माता की आरती-sheetala Mata Ki Aarti

 

जय शीतला माता… मैया जय शीतला माता, 

आदि ज्योति महारानी सब फल की दाता।

जय शीतला माता…

 

रतन सिंहासन शोभित, श्वेत छत्र भ्राता, 

ऋद्धि-सिद्धि चंवर ढुलावें, जगमग छवि छाता।

जय शीतला माता…

 

विष्णु सेवत ठाढ़े, सेवें शिव धाता, 

वेद पुराण बरणत पार नहीं पाता।

जय शीतला माता… 

 

इन्द्र मृदंग बजावत चन्द्र वीणा हाथा, 

सूरज ताल बजाते नारद मुनि गाता।

जय शीतला माता…

 

घंटा शंख शहनाई बाजै मन भाता, 

करै भक्तजन आरती लखि-लखि हरहाता।

जय शीतला माता… 

 

ब्रह्म रूप वरदानी तुही तीन काल ज्ञाता,

भक्तन को सुख देनौ मातु-पिता-भ्राता।

जय शीतला माता… 

 

जो भी ध्यान लगावें, प्रेम भक्ति लाता, 

सकल मनोरथ पावे, भवनिधि तर जाता।

जय शीतला माता… 

 

रोगन से जो पीड़ित कोई शरण तेरी आता, 

कोढ़ी पावे निर्मल काया, अंध नेत्र पाता।

जय शीतला माता… 

 

बांझ पुत्र को पावे दारिद कट जाता, 

ताको भजै जो नाहीं, सिर धुनि पछिताता।

जय शीतला माता… 

 

शीतल करती जननी तू ही है जग त्राता, 

उत्पत्ति व्याधि विनाशत तू सब की घाता।

जय शीतला माता… 

 

दास विचित्र कर जोड़े सुन मेरी माता, 

भक्ति आपनी दीजे और न कुछ भाता। 

 

शीतला चालीसा-Mata Shitala Chalisa

 

दोहा :- 

 

जय जय माता शीतला तुमही धरे जो ध्यान। होय बिमल शीतल हृदय विकसे बुद्धी बल ज्ञान।। 

घट घट वासी शीतला शीतल प्रभा तुम्हार। शीतल छैंय्या शीतल मैंय्या पल ना दार।।

 

चौपाई :-

जय जय श्री शीतला भवानी। जय जग जननि सकल गुणधानी।।

गृह गृह शक्ति तुम्हारी राजती। पूरन शरन चंद्रसा साजती।।

विस्फोटक सी जलत शरीरा। शीतल करत हरत सब पीड़ा।।

मात शीतला तव शुभनामा। सबके काहे आवही कामा।।

 

शोक हरी शंकरी भवानी। बाल प्राण रक्षी सुखदानी।।

सूचि बार्जनी कलश कर राजै। मस्तक तेज सूर्य सम साजै।।

चौसट योगिन संग दे दावै। पीड़ा ताल मृदंग बजावै।।

नंदिनाथ भय रो चिकरावै। सहस शेष शिर पार ना पावै।।

 

धन्य धन्य भात्री महारानी। सुर नर मुनी सब सुयश बधानी।।

ज्वाला रूप महाबल कारी। दैत्य एक विश्फोटक भारी।।

हर हर प्रविशत कोई दान क्षत। रोग रूप धरी बालक भक्षक।।

हाहाकार मचो जग भारी। सत्यो ना जब कोई संकट कारी।।

 

तब मैंय्या धरि अद्भुत रूपा। कर गई रिपुसही आंधीनी सूपा।।

विस्फोटक हि पकड़ी करी लीन्हो। मुसल प्रमाण बहु बिधि कीन्हो।।

बहु प्रकार बल बीनती कीन्हा। मैय्या नहीं फल कछु मैं कीन्हा।।

अब नही मातु काहू गृह जै हो। जह अपवित्र वही घर रहि हो।।

 

पूजन पाठ मातु जब करी है। भय आनंद सकल दुःख हरी है।।

अब भगतन शीतल भय जै हे। विस्फोटक भय घोर न सै हे।।

श्री शीतल ही बचे कल्याना। बचन सत्य भाषे भगवाना।।

कलश शीतलाका करवावै। वृजसे विधीवत पाठ करावै।।

 

विस्फोटक भय गृह गृह भाई। भजे तेरी सह यही उपाई।।

तुमही शीतला जगकी माता। तुमही पिता जग के सुखदाता।।

तुमही जगका अतिसुख सेवी। नमो नमामी शीतले देवी।।

नमो सूर्य करवी दुख हरणी। नमो नमो जग तारिणी धरणी।।

 

नमो नमो ग्रहोंके बंदिनी। दुख दारिद्रा निस निखंदिनी।।

श्री शीतला शेखला बहला। गुणकी गुणकी मातृ मंगला।।

मात शीतला तुम धनुधारी। शोभित पंचनाम असवारी।।

राघव खर बैसाख सुनंदन। कर भग दुरवा कंत निकंदन।।

 

सुनी रत संग शीतला माई। चाही सकल सुख दूर धुराई।।

कलका गन गंगा किछु होई। जाकर मंत्र ना औषधी कोई।।

हेत मातजी का आराधन। और नही है कोई साधन।।

निश्चय मातु शरण जो आवै। निर्भय ईप्सित सो फल पावै।।

 

कोढी निर्मल काया धारे। अंधा कृत नित दृष्टी विहारे।।

बंधा नारी पुत्रको पावे। जन्म दरिद्र धनी हो जावे।।

सुंदरदास नाम गुण गावत। लक्ष्य मूलको छंद बनावत।।

या दे कोई करे यदी शंका। जग दे मैंय्या काही डंका।।

 

कहत राम सुंदर प्रभुदासा। तट प्रयागसे पूरब पासा।।

ग्राम तिवारी पूर मम बासा। प्रगरा ग्राम निकट दुर वासा।।

अब विलंब भय मोही पुकारत। मातृ कृपाकी बाट निहारत।।

बड़ा द्वार सब आस लगाई। अब सुधि लेत शीतला माई।।

 

यह चालीसा शीतला पाठ करे जो कोय। सपनें दुख व्यापे नही नित सब मंगल होय।।

बुझे सहस्र विक्रमी शुक्ल भाल भल किंतू। जग जननी का ये चरित रचित भक्ति रस बिंतू।।

 

॥ इतिश्री शीतला माता चालीसा समाप्त॥

 

शीतला माता के उपाय : Sheetala Mata Upay 

 

– माता शीतला को ठंडी चीजों का भोग लगाकर प्रसाद ग्रहण करने से जीवन खुशहाल बनता है। 

 

– शीतला सप्तमी का व्रत और पूजन अच्छी सेहत खुशियां देने वाला माना जाता है।

 

– मां शीतला का पूजन जीवन में सभी तरह के ताप से बचने के लिए सर्वोत्तम उपाय माना जाता है।

 

– शीतला सप्तमी तथा अष्टमी व्रत दुर्गंधयुक्त फोड़े, नेत्र रोग तथा शीतलाजनिक रोगों से मुक्ति के लिए बहुत फलदायी। अत: इस दिन माता का शीतल जल से अभिषेक-पूजन करने से देवी शीतला प्रसन्न होकर स्वस्थ रहने का वरदान देती है। 

 

– शीतला सप्तमी-अष्टमी के दिन माता शीतला को जल अर्पित करके उसकी कुछ बूंदे अपने ऊपर डालना चाहिए, इस उपाय से शरीर की गर्मी दूर होकर माता का आशीष मिलता है। 

Sheetla Mata Worship

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