Puja

होली 2023 : आज देश भर में खेली और जलाई जाएगी होली, जानिए क्या करें पूरा दिन, कैसे मनाएं पर्व

देश के कई हिस्सों में 6 मार्च को होलिका दहन किया गया और आज 7 मार्च को धुलेंडी के पर्व मनाएंगे यानी रंगों से होली खेलेंगे। हालांकि देश के अन्य कई हिस्सों में आज शाम को होलिका दहन होगा और कल धुलंडी का पर्व मनाया जाएगा। जानिए आज पूरे दिन क्या क्या कार्य करना चाहिए और कैसे मनाना चाहिए इस पर्व को।

 

होलिका दहन : होलिका दहन में होली के डांडे के आसपास उपले बिछाकर रंगोली बनाते हैं और फिर उसकी पूजा करने के बाद शुभ मुहूर्त में उसे जलाते हैं।

 

देव पूजा : श्रीहरि विष्णु, माता लक्ष्मी, श्रीकृष्ण एवं राधा की पूजा और आराधना करना चाहिए। त्रैतायुग के प्रारंभ में श्री विष्णु ने धूलि वंदन किया था। धूल वंदन अर्थात लोग एक दूसरे पर धूल लगाना। इसकी याद में धुलेंडी मनाई जाती है।

 

गले मिलकर दें होली की बधाई : होली का पर्व अच्‍छाई पर बुराई की जीत का पर्व है। पुराने समय में होलिका दहन के बाद धुलेंडी के दिन लोग एक-दूसरे से प्रहलाद के बच जाने की खुशी में गले मिलते थे, मिठाइयां बांटते थे।

 

खेलें रंगों से : पुराने समय में धुलेंडी के दिन सुबह के समय लोग एक दूसरे पर कीचड़, धूल लगाते थे। जिसे धूल स्नान कहते हैं। पुराने समय में चिकनी मिट्टी का गारा या मुलतानी मिट्टी को शरीर पर लगाया जाता था। हालांकि आजकल सूखे रंगों से होली खेली जाती है। आजकल होलिका दहन के बाद अगले दिन धुलेंडी पर पानी में रंग मिलाकर होली खेली जाती है। कई जगह इसका उल्टा होता है।

गमी वाले घर जाएं रंग डालने : धुलेंडी के दिन टेसू के फूलों का सूखा रंग उस घर के लोगों पर डाला जाता हैं जहां किसी की मौत हो चुकी होती है। इस घर के लोग पहली होली या कोई से भी पहला त्योहार नहीं मनाते हैं। यह भी परंपरा है कि समाज के लोग जब तक उनके घर आकर होली के छींटे नहीं डालते हैं जब तक अगला कोई त्योहार वे नहीं मना पाते हैं।

 

करें ठंडाई का सेवन : होलिका दहन या धुलेंडी पर जो लोग भांग का सेवन नहीं करते हैं वे ठंडाई आदि पीते हैं।

 

संपदा देवी की पूजा : कहते हैं कि इस धन-धान्य की देवी संपदाजी की पूजा होली के दूसरे दिन यानी धुलेंडी के दिन की जाती है। इस दिन महिलाएं संपदा देवी के नाम का डोरा बांधकर व्रत रखती हैं तथा कथा सुनती हैं। मिठाई युक्त भोजन से पारण करती है। इस बाद हाथ में बंधे डोरे को वैशाख माह में किसी भी शुभ दिन इस डोरे को शुभ घड़ी में खोल दिया जाता है। यह डोरा खोलते समय भी व्रत रखकर कथा पढ़ी या सुनी जाती है।

 

गेर : इस दिन देश के कई स्थानों पर जुलूस निकालने की परंपरा है, जिसे गेर कहते हैं। इस दिन कई स्थानों से जलूस निकालने की परंपरा है, जिसे गेर कहते हैं। जलूस में ढोल-बाजे-नाच-गाने सब शामिल होते हैं। इसके लिए सभी अपने अपने स्तर पर तैयारी करते हैं।

 

पकनाव : इस दिन होली के रंगों से खेलने के दौरान या खेलने के बाद गिलकी के पकोड़े, खीर, पूरी और पूड़े, गुझियों, बेसन की सेव और दहीबड़े आदि बनाकर खाए जाते हैं।

 

होली मिलन समारोह : इस दिन होली का समारोह आयोजित करके लोग नृत्य, गान, लोकगीत और होली गीत गाते हैं। साथ ही समाज या परिवार में होली मिलन समारोह रखा जाता है। होली मिलन समारोह में रंग खेलने के साथ ही तरह तरह के पकवान भी खाए जाते हैं और लोग एक दूसरे को मिठाईयां भी देते हैं।