Madhur Temple
Madhur Temple, Kerala: भगवान का अपना देश (God’s Own Country) कहे जाने वाले केरल को इसकी शानदार प्राकृतिक सुन्दरता की वजह से जाना जाता है। कहा जाता है कि भगवान ने अपने हाथों से केरल को प्राकृतिक संपदा से सजाया और संवारा है। केरल में हिन्दू देवताओं से जुड़ी विभिन्न प्रकार की मान्यताएं प्रचलित हैं।
आज इस आलेख में हम आपको केरल के एक अनोखे गणेश मंदिर के बारे में बता रहे हैं जहां पर टीपू सुल्तान ने आक्रमण किया था। लेकिन वह मंदिर को कोई नुकसान नहीं पहुंचा सका था। मंदिर में आज भी टीपू सुल्तान की तलवार के निशान को संरक्षित रखा गया है। ये मंदिर है केरल का मधुर मंदिर।ALSO READ: Ganesh Chaturthi 2024: गणेश चतुर्थी पर गणेश स्थापना से पहले कैसे गणपति बप्पा का घर में कराएं मंगल प्रवेश?
क्या है केरल के मधुर मंदिर का इतिहास:
केरल के कासरगोड से थोड़ी दूरी पर ही मौजूद है मधुर मंदिर। इस मंदिर को भगवान गणेश का एक बहुत ही विचित्र मंदिर माना जाता है। 10वीं सदी में बने इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि पहले यह भगवान शिव का मंदिर था। पहले इस मंदिर का नाम श्रीमदानंदेश्वर था, जो भगवान शिव को समर्पित था। कहा जाता था कि इस मंदिर में स्थापित शिवलिंग किसी इंसान द्वारा निर्मित नहीं बल्कि स्वयंभू था।
दीवार पर चित्र से उभरे गणपति:
मान्यताओं के अनुसार एक दिन पुजारी के बेटे ने मंदिर के गर्भगृह में भगवान गणेश का एक चित्र बना दिया। स्थानीय लोगों का मानना है कि शिवालय के गर्भगृह में पुजारी के बेटे द्वारा बनाया गया भगवान गणेश का वह चित्र समय के साथ धीरे-धीरे बढ़ने लगा।
कहा जाता है कि वह बच्चा भगवान गणेश को प्यार से बोडा गणेश के नाम से पुकारा करता था। इसके बाद ही इस मंदिर को भगवान गणेश के विचित्र मंदिर के तौर पर मान्यता मिलने लगी। मंदिर के पास से बहती मधुरवाहिनी नदी के नाम पर इस मंदिर का नाम मधुर गणेश मंदिर रखा गया।
टीपू सुल्तान की तलवार का निशान
मैसूर के शासक टीपू सुल्तान ने एक बार केरल के इस मंदिर पर भी आक्रमण किया था। वह इस मंदिर को ध्वस्त करना चाहता था। कहा जाता है कि इस मंदिर पर आक्रमण करने के बाद टीपू सुल्तान ने मंदिर के कुएं/तालाब से एक ग्लास पानी पिया था। इसके बाद ही टीपू सुल्तान का मन बदल गया और उसने मंदिर को ध्वस्त करने का इरादा बदल दिया।
लेकिन वापस लौटने से पहले अपनी सेना को संतुष्ट करने के लिए टीपू सुल्तान ने मंदिर की छत के एक हिस्से को अपनी तलवार से थोड़ा सा नुकसान पहुंचाया था, जो उसके हमले का प्रतीक है। टीपू सुल्तान की तलवार का निशान आज भी इस मंदिर में संरक्षित है। कहा जाता है कि मंदिर के जिस तालाब का टीपू सुल्तान ने पानी पिया था, वह औषधीय गुणों से भरपूर है।
मनाया जाता है मुदप्पा सेवा का त्योहार:
मुदप्पा मंदिर में मनाया जाने वाला मुदप्पा सेवा यहां का प्रमुख त्योहार है। इस त्योहार के दौरान भगवान गणेश की प्रतिमा को मीठे चावल और घी से ढंक दिया जाता है। इस दौरान इलाके और आसपास के क्षेत्र से हजारों की संख्या में भक्त मंदिर में भगवान गणेश के दर्शन करने पहुंचते हैं।
कहा जाता है कि मधुर गणपति मंदिर में भगवान गणेश किसी को भी खाली हाथ नहीं लौटाते। उनसे मांगी गयी हर मनोकामना जरूर पूरी होती है।
यह मंदिर केरल में कासरगोड से लगभग 7 किमी की दूरी पर मौजूद है। मंदिर की वास्तुकला भी बड़ी अनोखी है, जो यहां आने वाले दर्शनार्थियों को खूब आकर्षित करती है।
कैसी है मंदिर की बनावट:
मंदिर की बनावट गजबृष्टा है, जो एक संस्कृत शब्द है। इसका शाब्दिक अर्थ होता है – गज का मतलब हाथी और बृष्टा यानी बैठे हुए हाथी की पीठ या कमर वाला हिस्सा। दक्षिण भारत में आमतौर पर भगवान शिव के मंदिर इसी शैली में बनाएं जाते हैं।