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जबलपुर का वो मंदिर जहां भगवान गणेश ने विसर्जित होने से कर दिया था इंकार, जानिए क्या है पूरी कहानी

Sheshnag Ganesh Mandir, Jabalpur

Lord Ganesh Temple: गणेश चतुर्थी पर हर पंडाल में भगवान गणेश की मूर्ति की स्थापना की जाती है। 10 दिनों तक पूरे भक्तिभाव से विघ्नहर्ता गणेश की पूजा करने के बाद आखिरी दिन मूर्ति को पहले मंत्रोच्चार द्वारा और फिर जल में विसर्जित कर दिया जाता है। हर साल यहीं प्रक्रिया दोहरायी जाती है।

मध्य प्रदेश के एक मंदिर में भी हर साल यहीं किया जाता था, लेकिन एक बार कुछ ऐसा हुआ जिसने वहां मौजूद हर किसी को सकते में डाल दिया। विघ्नहर्ता गणेश इस मंदिर में भी भगवान गणेश की प्रतिमा स्थापित तो की गयी पर विसर्जन के समय जब प्रतिमा को उठाने का प्रयास किया गया तो कुछ ऐसा हुआ जिसे देख हर कोई आश्चर्य में पड़ गया।  ALSO READ: इंदौर के इस गणेश मंदिर की दीवार पर बनाया जाता है उल्टा स्वास्तिक, जानिए क्या है कारण
 
ऐसा क्या हुआ था मध्य प्रदेश के जबलपुर में स्थित शेषनाग गणेश के मंदिर में…
जिस तरह मंदिरों या पूजा पंडालों में गणेश चतुर्थी के समय भगवान गणेश की प्रतिमा स्थापित और 10 दिनों बाद उसे विसर्जित की जाती है। ठीक उसी तरह जबलपुर के शेषनाग मंदिर में भी भगवान गणेश की अलग मूर्ति स्थापित की जाती थी।

50 साल पहले यहां कभी फलों से तो कभी लड्डूओं से भगवान गणेश की मूर्ति तैयार कर गणेश चतुर्थी के दिन उसकी स्थापना और अनंत चतुर्दशी के दिन उसका विसर्जन कर दिया जाता था। यह परंपरा अगले करीब 20-24 सालों तक जारी रही।

लगभग 27 साल पहले जबलपुर के व्यापारी संघ के कुछ सदस्य नागपुर के प्रसिद्ध टेकड़ी गणेश मंदिर से मिट्टी लेकर आएं और हर साल की तरह मिट्टी से भगवान गणेश की मूर्ति तैयार कर गणेश चतुर्थी के दिन उसे स्थापित किया। अगले 10 दिनों तक मंदिर में स्थापित मूर्ति की धूम-धाम से पूजा की गयी। अनंत चतुर्दशी के दिन भगवान के विसर्जन की बारी आयी। विसर्जन से जुड़ी सारी तैयारियां भी कर ली गयी थी।
 
जब भगवान ने उठने से कर दिया इंकार
विसर्जन से जुड़ी सभी तैयारियां करने के बाद जब भक्त मूर्ति को उठाकर ले जाने का प्रयास करने लगे तो यह मूर्ति टस से मस नहीं हुई। कई लोगों ने एक साथ मिलकर जोर लगाया लेकिन गणपति बाप्पा की मूर्ति ने अपने जगह से हिलने से इंकार कर दिया। ऐसा लग रहा था कि यह मूर्ति मिट्टी से ना बनकर किसी भारी चट्टान से बनी है या फिर गोंद से अपनी जगह पर चिपका दी गयी थी। जब गजानन की मूर्ति को उसकी जगह से हटाने में भक्त विफल हो गये तो लोगों ने इसे भगवान गणेश की मर्जी समझकर मूर्ति को मंदिर से हटाने का प्रयास करना छोड़ दिया।
 
बनाया गया शेषनाग गणेश मंदिर
भगवान गणेश की मूर्ति को उसकी जगह से हटाने का जब हर प्रयास विफल हो गया तो व्यापारी संघ ने यहां भगवान गणेश का मंदिर स्थापित करवाने का निर्णय लिया। इसके लिए विशेष कलाकारों को बुलाया गया और नागपुर टेकड़ी गणेश की मिट्टी से ही जबलपुर के गंजीपुरा इलाके में भगवान गणेश के भव्य मंदिर की आधारशिला रखी गयी।
 
मंदिर परिसर में लगता है भव्य मेला:
गणेश चतुर्थी के समय इस मंदिर परिसर में भव्य मेला लगता है, जिसमें विशाल भंडारा और प्रसाद वितरण का आयोजन भी किया जाता है। साल के हर समय तो इस मंदिर में भगवान गणेश के दर्शन करने भक्त पहुंचते रहते हैं, लेकिन गणेश चतुर्थी के समय खास तौर पर इस मंदिर में भक्त पहुंचते हैं। मंदिर में शेषनाग की एक मूर्ति को भी स्थापित किया गया है। कहा जाता है कि शेषनाग हर परिस्थिति में भगवान गणेश की रक्षा करते रहते हैं।
मंदिर परिसर में काफी पुराना एक वृक्ष भी स्थित है, जिसके नीचे महादेव, मां दुर्गा और साईं बाबा की प्रतिमा स्थापित है। कहा जाता है कि इस मंदिर में सच्चे दिल से जो भी भक्त भगवान गणेश से अपनी मनोकामना बताता है, उसी इच्छा जरूर पूरी होती है।