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ठाणे के टिटवाला सिद्धिविनायक महागणपति मंदिर जिसका देवी शकुंतला ने किया था निर्माण

Famouse Ganesh Temples of Mumbai

Ganesh Chaturthi Special: गणेश चतुर्थी के अवसर पर हम आपको देश बहर में स्थित विभिन्न गणेश मंदिरों के बारे में बता रहे। आज इस आलेख में हम आपको एक ऐसे ऐतिहासिक मंदिर के बारे में बता रहे हैं, जिसकी स्थापना महर्षि विश्वामित्र और अप्सरा मेनका की पुत्री शकुंतला ने की थी।  यह मंदिर मुंबई से सटे ठाणे में स्थित है, जिसका नाम टिटवाला सिद्धिविनायक महागणपति मंदिर है।
 
स्थानीय मान्यताओं के अनुसार टिटवाला सिद्धिविनायक महागणपति मंदिर की स्थापना महर्षि विश्वामित्र और अप्सरा मेनका की पुत्री शकुंतला नी की थी जिनका विवाह राजा दुष्यंत से हुआ था। उन्हीं के पुत्र थे राजा भरत जो पांडवों और कौरवों के पूर्वज थे।

पौराणिक मान्यता के अनुसार जब ऋषि दुर्वासा के श्राप के कारण राजा दुष्यंत शकुंतला से अपने विवाह की बात भूल गये,  तब शकुंतला ने भगवान गणेश से प्रार्थना की थी। कहते है कि भगवान गणेश ने शकुंतला से सपने में आकर टिटवाला में एक गणेश मंदिर स्थापित करने को कहा था। इसके बाद शकुंतला ने अपने बेटे भरत के साथ इस मंदिर की स्थापना की। जब राजा दुष्यंत टिटवाला आए तो उन्होंने इस मंदिर को देखा और इस प्रकार उनकी स्मृति लौट आई और उन्हें अपनी पत्नी और बेटे के बारे में सब याद आ गया।ALSO READ: Ganesh Chaturthi Special: मेवाड़ में है अनूठा मंदाकिनी मंदिर जहां होती है नारी गणेश की मूर्तियों की पूजा
 
महाकवि कालीदास को अभिज्ञानशाकुंतलम की प्रेरणा यहीं से मिली थी 
मान्यता है कि महाकवि कालीदास को अभिज्ञानशाकुंतलम लिखने की प्रेरणा टिटवाला महागणपति मंदिर में आकर ही मिली थी। ज्ञातव्य है कि अभिज्ञानशाकुंतलम महाकवि कालिदास की विश्व प्रसिद्द रचना है। मान्यता है कि मूल रूप से संस्कृत भाषा में लिखी इस कृति के लिए उन्हें इसी मंदिर से प्रेरणा मिली थी।
 
क्या हुआ उसके बाद?
कहा जाता है कि शकुंतला ने जिस गणपति मंदिर का निर्माण किया था वह कालांतर में एक तालाब में डूब गया था। सदियों बाद एक बार जब पेशवा माधवराव प्रथम के शासन के दौरान  शहर में सूखा पड़ा। शहर में पानी उपलब्ध करवाने के लिए इस तालाब को साफ करने का काम किया जा रहा था। तब तालाब में दबे हुए मंदिर के बारे में जानकारी मिली।
 
पूरी होती है मनोकामना:
कहा जाता है कि टिटवाला सिद्धिविनायक महागणपति मंदिर में भगवान गणपति के नाभि और माथे पर एक मणि लगी हुई है। अगर किसी व्यक्ति को इन मणि के दर्शन हो जाए तो उसकी मनोकामनाएं जरूर पूरी होती हैं।
इस मंदिर की प्रसिद्धि घर के सभी कलेश मिटाकर पति-पत्नी को एक जोड़े में बनाने वाले गणपति के रूप में भी है।