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तमिल दीपावली : दक्षिण भारत में कैसे मनाया जाता है दिवाली का त्योहार

Tamil Deepavali: संपूर्ण भारत में दिवाली का पर्व मनाया जाता है परंतु हर प्रांत की परंपरा और रिवाज के अनुसार यह उत्सव मनाया जाता है। तमिलनाडु में इस त्योहार की परंपरा थोड़ी अलग है और सभी मिलकर यह पर्व मनाते हैं। आओ जानते हैं कि कार्तिक अमावस्या के दिन तमिल लोग कैसे मनाते हैं दिवाली का महापर्व और क्या खास रहता है इस दिन।

 

तमिल दीपावली : 12 नवंबर 2023 को रविवार मनाई जाएगी।

दीपावली स्नान मूहूर्त : सूर्योदय से पूर्व 05:46 से 07:00 के बीच।

 

तमिलनाडु में क्यों मनाई जाती है दिवाली?

वैसे तमिलनाडु में कार्तिक चतुर्दशी के दिन से दिवाली उत्सव प्रारंभ होता है।

तमिलनाडु में श्रीकृष्ण द्वारा नरकासुर के वध किए जाने की खुशी में दिवाली मानते हैं।

तमिलनाडु सहित दक्षिण भारत में, इसे भगवान कृष्ण और देवी सत्यभामा की विजय के रूप में मनाया जाता है। 

तमिलनाडु में कैसे मनाते हैं दिवाली उत्सव?

तमिलनाडु में भी घर और आंगन में सजावट और लाइटिंग करते हैं।

त्योहार के लिए घरों को साफ किया जाता है और कोलम, पान के पत्तों और मेवों, फूलों और फलों से सजाया जाता है।

सुबह उठकर उसी तरह स्नान करते हैं जिस तरह उत्तर भारत में नरक चतुर्दशी पर करते हैं।

यह पर्व सुबह सुबह तेल और उबटन लगाकर स्नान करने से प्रारंभ होता है।

स्नान करने के बाद सुंदर पारंपरिक वस्त्र धारण करते हैं और इसके बाद पूजा करते हैं।

पूजा के दौरान सभी जगह मिट्टी के दीये जलाते हैं।

पूजा के बाद सभी लोग मिलकर पटाखे छोड़ते हैं। 

बुरी आत्माओं को दूर करने के लिए मिट्टी के दीपक जलाए जाते हैं।

इस दिन स्वादिष्‍ट व्यंजनों में बूंदी, पालकोवा, उक्कराई, ओमापोडी, जांगरी, वेल्लई अप्पम और पथरी बनाकर खाते हैं। 

नवविवाहितों के लिए, थाला दीपावली, या शादी के बाद उनकी पहली दीपावली बहुत महत्व रखती है क्योंकि जोड़ों पर आशीर्वाद और उपहारों की वर्षा की जाती है।