Khandagras lunar eclipse : हिन्दू परम्परा में ग्रहण का महत्वपूर्ण स्थान है। जैसा आप सभी को विदित है ग्रहण दो प्रकार के होते हैं- सूर्य ग्रहण एवं चंद्र ग्रहण।
सूर्य ग्रहण एवं चंद्र ग्रहण भी मुख्यत: दो प्रकार के होते हैं- खग्रास और खंडग्रास। जब ग्रहण पूर्णरूपेण दृश्यमान होता है तो उसे ‘खग्रास’ एवं जब ग्रहण कुछ मात्रा में दृश्यमान होता है तब उसे ‘खंडग्रास’ कहा जाता है। ग्रहण का समस्त द्वादश राशियों पर व्यापक प्रभाव माना जाता है।
खंडग्रास चंद्र ग्रहण- संवत 2080 आश्विन शुक्ल पक्ष दिन शनिवार, दिनांक 28 अक्टूबर 2023 को खंडग्रास चंद्र ग्रहण होगा। यह ग्रहण अश्विनी नक्षत्र एवं मेष राशि पर मान्य होगा।
ग्रहण का सूतक दिन के 04 बजकर 05 मिनट से लगेगा।
ग्रहण का स्पर्श काल- रात्रि 1 बजकर 05 मिनट, मध्य-रात्रि 01 बजकर 44 मिनट, एवं मोक्ष- रात्रि 02 बजकर 03 मिनट पर होगा।
ग्रहण का पर्वकाल- 01 घंटा 08 मिनट का रहेगा।
ग्रहण का फल- इस खंडग्रास चंद्र ग्रहण समस्त द्वादश राशियों पर फल निम्नानुसार रहेगा।
शुभ फल- मिथुन, कर्क, वृश्चिक, कुम्भ
मध्यम फल- सिंह, तुला, धनु, मीन
अशुभ फल- मेष, वृषभ, कन्या, मकर
कब करें ‘शरद पूर्णिमा’ की पूजा-
शास्त्रानुसार ग्रहण काल में पूजा निषिद्ध है। अत: शरद पूर्णिमा की पूजा हेतु शास्त्र के निर्देशानुसार निशीथकाल या प्रदोषकाल व्यापिनी पूर्णिमा लेना चाहिए।
दिनांक 27.10.2023 को त्रयोदशी है एवं चतुर्दशी क्षय तिथि होने से पूर्णिमा दिनांक 27 अक्टूबर को प्रात: 06 बजकर 56 मिनट से प्रारंभ होगी, जो 28 अक्टूबर को 08 बजकर 55 तक रहेगी। अत: शास्त्र के निशीथकाल व प्रदोषकाल व्यापिनी के सिद्धांत अनुसार दिनांक 27 को शरद पूर्णिमा की पूजा रात्रि 12 बजे के पश्चात करना श्रेयस्कर रहेगा।
-ज्योतिर्विद् पं. हेमन्त रिछारिया
प्रारब्ध ज्योतिष परामर्श केन्द्र
सम्पर्क: [email protected]
ALSO READ: Chandra grahan time: चंद्र ग्रहण भारत में कहां-कहां दिखाई देगा?
ALSO READ: Sharad purnima 2023 grahan: शरद पूर्णिमा पर चंद्र ग्रहण का साया, त्योहार मनाएं या नहीं?