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शाकंभरी नवदुर्गा प्रारंभ, इस नवरात्रि में कैसे करें पूजन, जानें विधि और मंत्र

Shakambhari Navratri In Hindi
 

 HIGHLIGHTS

 

* इस नवरात्रि में देवी शाकंभरी के मंत्र जाप किए जाते हैं। 

* शाकंभरी देवी पूजन की विधि। 

* मंत्र जाप और अनुष्ठान के बारे में जानकारी।

 

Shree Shakumbhari Amba Puja Vidhi : 18 जनवरी 2024, दिन गुरुवार से पौष मास शुक्ल पक्ष की अष्टमी से शाकंभरी नवरात्रि प्रारंभ हो गया है। गुप्त नवरात्रि की तरह ही यह नवरात्रि भी अत्यंत महत्व की मानी गई है। इस नवरात्रि के दौरान 9 दिनों तक देवी का पूजन और आराधना की जाती है। इस वर्ष पौष मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तथा 18 जनवरी से शुरू हुई से शाकंभरी नवरात्रि का समापन पौष शुक्ल पूर्णिमा को यानी 25 जनवरी को होगा। साथ ही इसी दिन शाकंभरी देवी की जयंती मनाई जाएगी। 

 

आइए यहां जानते हैं मंत्र जाप विधि और पूजन से संबंधित खास मंत्र के बारे में- 

 

कैसे करें मंत्र जाप और अनुष्ठान : शाकंभरी नवरात्रि के दिनों में नित्य 1 माला मंत्र जाप करें। हवन सामग्री में तिल, जौ, अक्षत, घृत, मधु, ईख, बिल्व पत्र, शकर, पंचमेवा, इलायची, समिधा, आम, बेल या जो उपलब्ध हो आदि लेकर हवन करें। इन मंत्रों का अनुष्ठान 10 हजार या 1.25 लाख जप करके दशांस हवन, तर्पण, मार्जन और ब्राह्मण भोजन अवश्य कराएं। 

 

शाकंभरी नवरात्रि के दिनों में आप मां दुर्गा की आराधना तथा निम्न मंत्रों का जाप करके सुखपूर्वक जीवन बिता सकते हैं। अगर आप भी अपने जीवन को धन-धान्य और ऐश्वर्य से परिपूर्ण करना चाहते हैं तो नवरात्रि के दिनों में नीचे लिखे मंत्रों का प्रयोग करके शुभ फल प्राप्त कर सकते हैं। अगर नौ दिन साधना संभव नहीं हो तो घबराने की कोई बात नहीं, सिर्फ शाकंभरी जयंती के दिन 108 बार इन मंत्रों का जाप अवश्य करें।

 

शाकंभरी देवी के पावरफुल मंत्र-Sakumbari mantra

 

मां देवी शाकंभरी का यह मंत्र प्रसिद्ध है, जो उनके स्वरूप को दर्शाता है- ‘शाकंभरी नीलवर्णानीलोत्पलविलोचना। मुष्टिंशिलीमुखापूर्णकमलंकमलालया।।’

 

– ‘ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं भगवति अन्नपूर्णे नम:।।’

 

– ‘ॐ सर्वाबाधा विनिर्मुक्तो धनधान्य: सुतान्वित:। मनुष्यो मत्प्रसादेन भविष्यति न संशय:।।’

 

– ‘ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं भगवति माहेश्वरि अन्नपूर्णे स्वाहा।।’

 

पूजा विधि-Devi Shakumbhari Puja Vidhi 

 

– शाकंभरी नवरात्रि के दिन से यानी पौष शुक्ल अष्टमी के दिन से पूर्णिमा तक देवी की आराधना करें।

 

– अष्टमी तिथि के प्रातः जल्दी उठकर दैनिक कार्यों से निवृत्त होकर स्नानादि करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें। 

 

– अब पूजा स्थल को साफ-स्वच्छ करके पूजन प्रारंभ करें।

 

– प्रसाद के लिए मिश्री, मेवा, हलवा, पूरी, फल, शाक-सब्जियां आदि एकत्रित करके धोकर रख लें।

 

– सर्वप्रथम श्री गणेश का पूजन करें, तत्पश्चात माता शाकंभरी देवी का ध्यान करें। 

 

– एक लकड़ी की चौकी लेकर उस पर लाल रंग का कपड़ा बिछाएं और मां की प्रतिमा अथवा तस्वीर स्थापित करें।

 

– पूजन के पहले माता के चारों ओर ताजे फल और मौसमी सब्जियां रख दें। 

 

– अब उन पर गंगा जल छिड़के तथा शाकंभरी माता की पूजा करें।

 

– शाकंभरी देवी की कथा, चालीसा, स्तुति आदि का वाचन करें।

 

– पूजा के पश्चात आरती करें। देवी के मंत्रों का जाप करें। 

 

– माता को सभी प्रसाद चढ़ाकर सच्चे मन से प्रार्थना करने से जीवन के सभी संकटों का नाश होता है। 

 

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