Puja

षटतिला एकादशी की पूजा विधि और पारण का समय

Shattila Ekadashi 2024 
 

HIGHLIGHTS

 

* मंगलवार, 6 फरवरी 2024 को षटतिला एकादशी मनाई जाएगी।

* यह एकादशी माघ महीने के कृष्ण पक्ष के ग्यारस तिथि पर पड़ती है।

* षटतिला एकादशी पर तिल के उपयोग का बहुत महत्व है।

 

Shattila Ekadashi Festival 2024: इस वर्ष षटतिला एकादशी 6 फरवरी 2024, दिन मंगलवार को मनाई जा रही है। यह माघ मास में आने वाली खास एकादशी है, जो माघ महीने के कृष्ण पक्ष की ग्यारस तिथि पर पड़ती है। षटतिला नाम होने से इस दिन छ: प्रकार से तिल का उपयोग करने का बहुत अधिक महत्व है। 

 

इस दिन 1. तिल स्नान, 2. तिल का उबटन, 3. तिल का हवन, 4. तिल का तर्पण, 5 तिल का भोजन और 6. तिलों का दान- ये तिल के 6 प्रकार हैं। इनके प्रयोग के कारण यह षट्तिला एकादशी कहलाती है तथा इसका बहुत पुण्य प्राप्त होता है। 

 

आइए जानते हैं यहां पूजन की आसान विधि और पारण का शुभ समय- 

 

षटतिला एकादशी की पूजा विधि : Shattila Ekadashi Puja Vidhi

 

– माघ मास की एकादशी के दिन मनुष्य को स्नानादि करके शुद्ध वस्त्र धारण करना चाहिए। 

 

– दशमी तिथि से इंद्रियों को वश में करके काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार, ईर्ष्या तथा द्वेष आदि का त्याग कर भगवान का स्मरण करना चाहिए। 

 

– एकादशी के दिन सफेद तिल का उबटन लगाकर पानी में तिल मिलाकर स्नान करना चाहिए। 

 

– स्नानादि नित्य क्रिया से निवृत्त होकर श्री विष्णु भगवान का पूजन करें और एकादशी व्रत धारण करें। 

 

– इस दिन तिल स्नान और तिलयुक्त भोजन का दान दोनों ही श्रेष्ठ हैं। इस प्रकार जो मनुष्य जितने तिलों का दान करता है, उतने ही हजार वर्ष स्वर्ग में वास करता है। 

 

– एकादशी तिथि के दिन पुण्य देने वाले नियमों को ग्रहण करें। 

 

– उसके दूसरे दिन धूप-दीप, नैवेद्य आदि से भगवान का पूजन करके खिचड़ी का भोग लगाएं। 

 

– फिर पेठा, नारियल, सीताफल या सुपारी का अर्घ्य देकर स्तुति करें- 

 

हे भगवान! आप दीनों को शरण देने वाले हैं, इस संसार सागर में फंसे हुओं का उद्धार करने वाले हैं। हे पुंडरीकाक्ष! हे विश्वभावन! हे सुब्रह्मण्य! हे पूर्वज! हे जगत्पते! आप लक्ष्मीजी सहित इस तुच्छ अर्घ्य को ग्रहण करें।

 

– इसके पश्चात जल से भरा कुंभ/ घड़ा ब्राह्मण को दान करें तथा शक्ति हो तो श्यामा गौ और तिल पात्र देना भी उत्तम है। 

 

– इस व्रत के करने से अनेक प्रकार के पाप नष्ट हो जाते हैं तथा मनुष्य को मोक्ष की प्राप्ति होती है।

 

– अगर पुष्य नक्षत्र में गोबर, कपास और तिल मिलाकर बने कंडों से 108 बार हवन करने से जीवन में पुण्‍य का उदय होता है तथा श्री विष्णु की कृपा प्राप्त होती है।

 

– इस दिन रात्रि को जागरण करना चाहिए। 

 

– पारण तिथि वाले दिन पुन: श्रीहरि का पूजन, आरती करके ब्राह्मण को भोजन करवाने तथा दान-दक्षिणा देने के बाद ही स्वयं पारण करें। 

 

षटतिला एकादशी 2024 के शुभ मुहूर्त- Shattila Ekadashi Muhurat 2024

 

षटतिला एकादशी का प्रारंभ- 5 फरवरी 2024 को 08.54 ए एम से शुरू, 

एकादशी तिथि का समापन- 6 फरवरी 2024 को 07.37 ए एम पर।

 

दिन का चौघड़िया : 

चर- 08.36 ए एम से 10.09 ए एम

लाभ- 10.09 ए एम से 11.43 ए एम

अमृत- 11.43 ए एम से 01.16 पी एम

शुभ- 02.50 पी एम से 04.24 पी एम

 

रात्रि का चौघड़िया : 

लाभ- 07.24 पी एम से 08.50 पी एम

शुभ- 10.17 पी एम से 11.43 पी एम

अमृत- 11.43 पी एम से 7 फरवरी को 01.10 ए एम तक।

चर- 01.10 ए एम से 7 फरवरी को 02.36 ए एम तक।

 

षटतिला एकादशी पारण का समय- Shattila Ekadashi Paran Time 

 

एकादशी पारण समय- 7 फरवरी को 05.29 ए एम से 05.32 ए एम तक।

पारण तिथि पर द्वादशी का समापन समय- 05.32 ए एम पर। 

 

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