Puja

होली के त्योहार पर प्रवासी कविता : कान्हा होली खेले राधा संग

radha krishna holi 
 

ऋतु राज वसंत और महीना हुआ फागुन

 

टेसुओं का बरसे रंग और बृज में खेलें कान्हा होली राधा के संग

 

मन मयूर नाचे छम छम जब,

राधा, होरी खेले कान्हा संग

 

होली की इस पावन बेला में रंग उड़े हजार

रंगों के रमझट में अब तो राधा हुई निहाल

 

बरसे गुलाल, बरसे टेसू रंग, 

पीला पीतांबर पहने कान्हा रम गए राधा संग

 

निश्चल अमर प्रेम जिनका दोनों के एक स्वरूप,

कभी राधा, दिखे कान्हा और कभी दिखे कान्हा राधे, 

ऐसी उनकी प्रीत जो भिगोए होली के रंग।

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