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महाशिवरात्रि पर कैसे करें शिवजी की षोडशोपचार पूजा, जानें विधि

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Shivlinga Puja vidhi at home: पूजा विधि के मुख्‍यत: तीन प्रकार है- पंचोपचार पूजा, दशोपचार पूजा और षोडशोपचार पूजा। महाशिवरात्रि पर भगवान शिव की षोडशोपचार पूजा करने से वे अति प्रसन्न होकर आशीर्वाद देंगे। महाशिवरात्रि का त्योहार 8 मार्च 2024 शुक्रवार के दिन मनाया जा रहा है। आओ जानते हैं उनकी षोडशोपचार पूजा विधि।

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1. पांच उपचार यानी पंचोपचार : गंध, पुष्प, धूप, दीप और नेवैद्य।

2. दश उपचार दशोपचार : पाद्य, अर्घ्य, आचमन, स्नान, वस्त्र निवेदन, गंध, पुष्प, धूप, दीप और नेवैद्य।

3. सोलह उपचार यानी षोडशोपचार : पाद्य, अर्घ्य, आचमन, स्नान, वस्त्र, आभूषण, गंध, पुष्प, धूप, दीप, नेवैद्य, आचमन, ताम्बुल, स्तवपाठ, तर्पण और नमस्कार। पूजन के अंत में सांगता सिद्धि के लिए दक्षिणा भी चढ़ाना चाहिए। षोडशोपचार यानी विधिवत 16 क्रियाओं से पूजा संपन्न करना।

 

षोडशोपचार पूजन : 1.ध्यान-प्रार्थना, 2.आसन, 3.पाद्य, 4.अर्ध्य, 5.आचमन, 6.स्नान, 7.वस्त्र, 8.यज्ञोपवीत, 9.गंधाक्षत, 10.पुष्प, 11.धूप, 12.दीप, 13.नैवेद्य, 14.ताम्बूल, दक्षिणा, जल आरती, 15.मंत्र पुष्पांजलि, 16.प्रदक्षिणा-नमस्कार एवं स्तुति।

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पूजा सामग्री : दूध, दही, घी, आंकड़ा, धतूरा, बिल्वपत्र, चंदन, भस्म, पांच फूल, पांच फल, पंचामृत, वस्त्र, पान, हार माला, गंगाजल, लोटा, तरभाणा, आचमनी, कर्पूर, दीपक, धूप, दीप, रूई, पंच मेवा, पंच रस, इत्र, गंध, मौली, ईख, भाँग, बेर, आम्र मंजरी, जौ, तिल, शहद, पंच मिष्ठान्न, रुद्राक्ष, कुशा, आसन आदि।

Ghar par shiv ji ki puja kaise kare

षोडशोपचार पूजा विधि- shodashopachar puja method in hindi :-

प्रात:काल स्नान-ध्यान से निवृत हो माता का स्मरण करते हुए व्रत एवं पूजा का संपल्प लें।

घर पर पूजा कर रहे हैं तो एक पाट पर लाल या पीला कपड़ा बिछाएं और उस पर घट एवं कलश की स्थापना करें।

इसके बाद एक बड़ी सी थाली में शिवलिंग या शिवमूर्ति को स्थापित करके उस थाल को पाट पर स्थापित करें।

अब धूप दीप को प्रज्वलित करें। इसके बाद कलश की पूजा करें।

कलश पूजा के बाद शिवमूर्ति या शिवलिंग को जल से स्नान कराएं। 

फिर पंचामृत से स्नान कराएं। पंचामृत के बाद पुन: जलाभिषेक करें।

फिर शिवजी के मस्तक पर चंदन, भस्म और लगाएं और फिर उन्हें हार और फूल चढ़ाकर माला पहनाएं।

पूजन में अनामिका अंगुली (छोटी उंगली के पास वाली यानी रिंग फिंगर) से इत्र, गंध, चंदन आदि लगाना चाहिए।

इसके बाद 16 प्रकार की संपूर्ण सामग्री एक एक करके अर्पित करें।

पूजा करने के बाद प्रसाद या नैवेद्य (भोग) चढ़ाएं और प्रसाद अर्पित करें।

ध्यान रखें कि नमक, मिर्च और तेल का प्रयोग नैवेद्य में नहीं किया जाता है।

नैवेद्य अर्पित करने के बाद अंत में शिवजी की आरती करें।

आरती के बाद सभी को प्रसाद वितरित करें।

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