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Lohri ke Geet | लोहड़ी गीत और इसका महत्व

Lohri 2024

Lohri ke Geet 2024: पंचांग के अनुसार यह पर्व 13 जनवरी 2024 शनिवार के दिन मनाए जाएगा, परंतु पंचांग भेद से 14 जनवरी को भी यह पर्व मनाया जा रहा है। अधिकतर मतों में यह पर्व 14 जनवरी को मनाया जा रहा है। कारण यह कि लोहड़ी का पर्व मकर संक्रांति के एक दिन पूर्व रात्रि में मनाया जाता है। मकर संक्रांति इस बार 15 जनवरी को रहेगी। आओ जानते हैं लोहड़ी गीत और उसका महत्व।

 

लोहड़ी गीत एवं इसका महत्व :-

लोहड़ी में गीतों का बड़ा महत्व है। इन गीतों से मन में उत्साह और उमंग का संचार होता है और चारों ओर खुशियों की लहर दौड़ पड़ती है। लोहड़ी पर कई पंजाबी लोकगीतों को गाया जाता है। इसी के साथ ही लोगनृत्य करके इस पर्व को मनाया जाता है। मूलरूप से इन लोग गीतों में दुल्ला भाटी की कहानी और फसलों आदिका वर्णन होता है। आग के आसपास लोग ढोल की ताल पर गिद्दा एवं भांगड़ा डांस करके इस त्योहार को मनाते हैं।

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लोहड़ी गीत में रेवड़ी की मिठास और पंजाब का रंग दिखाई पड़ता है। लोहड़ी पर्व की संध्या पर लकड़ियां एकत्रित करके जलाई जाती हैं तथा तिल से अग्नि का पारंपरिक पूजन किया जाता है। इस त्योहार के बच्चों-युवाओं की टोलियां घर-घर से लकड़ियां मांग कर इकट्‍ठा करती है तथा लोहड़ी के गीत गाते हुए लोहड़ी मांगते हैं। यहां पढ़ें पारंपरिक गीत-

 

लोहड़ी गीत- Lohri Geet

 

सुंदर मुंदरीए होए

तेरा कौन बचारा होए

दुल्ला भट्टी वाला होए

तेरा कौन बचारा होए

दुल्ला भट्टी वाला होए

दुल्ले धी ब्याही होए

सेर शक्कर पाई होए

कुड़ी दे लेखे लाई होए

घर घर पवे बधाई होए

कुड़ी दा लाल पटाका होए

कुड़ी दा शालू पाटा होए

शालू कौन समेटे होए

अल्ला भट्टी भेजे होए

चाचे चूरी कुट्टी होए

ज़िमींदारां लुट्टी होए

दुल्ले घोड़ दुड़ाए होए

ज़िमींदारां सदाए होए

विच्च पंचायत बिठाए होए

जिन जिन पोले लाई होए

सी इक पोला रह गया

सिपाही फड़ के ले गया

आखो मुंडेयो टाणा टाणा

मकई दा दाणा दाणा

फकीर दी झोली पाणा पाणा

असां थाणे नहीं जाणा जाणा

सिपाही बड्डी खाणा खाणा

अग्गे आप्पे रब्ब स्याणा स्याणा

यारो अग्ग सेक के जाणा जाणा

लोहड़ी दियां सबनां नूं बधाइयां…।

 

इसके अलावा निम्न गीत भी गाएं जाते हैं। 

 

– ‘दे माई लोहड़ी, तेरी जीवे जोड़ी’, 

– ‘दे माई पाथी तेरा पुत्त चड़ेगा हाथी’ 

रात में अग्नि में तिल डालते हुए-

‘ईशर आए दलिदर जाए, दलिदर दी जड चूल्हे पाए’ 

 

गीत गाते हुए सबके अच्छे स्वास्थ्य की कामना की जाती हैं।

 

विशेष पकवान- लोहड़ी के दिन विशेष पकवान बनते हैं जिसमें गजक, रेवड़ी, मुंगफली, तिल-गुड़ के लड्डू, मक्का की रोटी और सरसों का साग प्रमुख होते हैं। लोहड़ी से कुछ दिन पहले से ही छोटे बच्चे लोहड़ी के गीत गाकर लोहड़ी हेतु लकड़ियां, मेवे, रेवडियां, मूंगफली इकट्ठा करने लग जाते हैं।