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Tapti janmotsav: मां ताप्ती जयंती कब है, जानें पूजा का शुभ मुहूर्त

Tapti Jayanti

ताप्ती जन्मोत्सव आषाढ़ शुक्ल सप्तमी को मनाया जाता है। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार इस बार 13 जुलाई को ताप्ती नदी की जयंती मनाई जाएगी। आज ही के दिन वैवस्वत मनु की जयंती भी रहती है। मध्य प्रदेश में ताप्ती नदी का जन्मोत्सव धूमधाम से बनाया जाता है। यह नदी भी भारत में प्राचीनकाल से बहती आ रही है। आओ जानते हैं नदी का परिचय, पूजा विधि और शुभ मुहूर्त।ALSO READ: ताप्ती जयंती : ताप्ती नदी की क्या है पौराणिक कहानी

 

13 जुलाई 2024 का शुभ मुहूर्त:-

प्रातः सन्ध्या : प्रात: काल  04:31 से 05:32 तक।

अभिजीत मुहूर्त : दोपहर 11:59 से 12:54 तक।

अमृत काल स दोपहर 12:28 से 02:17 तक।

विजय मुहूर्त : दोपहर 02:45 से 03:40 तक।

गोधूलि मुहूर्त : शाम 07:20 से 07:40 तक।

सायाह्न सन्ध्या : शाम 07:21 से रात्रि 08:23 तक।

 

ताप्ती नदी परिचय : ताप्ती नदी मध्य भारत की एक नदी है जिसका उद्गम बैतूल जिले के सतपुड़ा पर्वत श्रृंखला में स्थित मुलताई तहसील के एक ‘नादर कुंड’ से होता है। यह नदी पूर्व से पश्चिम की ओर बहती हुई खंभात की खाड़ी में जाकर समुद्र में मिल जाती है। सूरत के सवालीन बंदरगाह इसी नदी के मुहाने पर है। नदी के बहाव के रास्ते में मध्यप्रदेश में मुलताई, नेपनगर, बैतूल और बुरहानपुर, महाराष्ट्र में भुसावल, नंदुरबार, नासिक, जलग्राम, धुले, अमरावती, अकोला, बुलढाना, वासिम और गुजरात में सूरत और सोनगढ़ शामिल हैं। ताप्ती नदी सतपुड़ा की पहाड़ियों एवं चिखलदरा की घाटियों से होते हुए महाखड्ड में बहती है।

 

ताप्ती नदी की वैसे तो कई सहायक नदियां हैं परंतु उसमें से प्रमुख है- पूर्णा नदी, गिरना नदी, पंजारा नदी, वाघुर नदी, बोरी नदी और अनर नदी। ताप्ती नदी में सैकड़ों कुंड एवं जल प्रताप के साथ डोह है जिसे कि लंबी खाट में बुनी जाने वाली रस्सी को डालने के बाद भी नापा नहीं जा सका है। ताप्ती के मुल्ताई में ही 7 कुंड है- सूर्यकुण्ड, ताप्ती कुण्ड, धर्म कुण्ड, पाप कुण्ड, नारद कुण्ड, शनि कुण्ड, नागा बाबा कुण्ड।

 

ताप्ती नदी की कुल लंबाई लगभग 724 किमी है। नदी क्षेत्र को भूगर्भीय रूप से स्थिर क्षेत्र के रूप में जाना जाता है, जिसकी औसत ऊंचाई 300 मीटर और 1,800 मीटर के बीच है। यह 65,300 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र को अपवाहित करती है।

 

ताप्ती नदी का धार्मिक महत्व : पौराणिक ग्रंथों में ताप्ती नदी को सूर्यदेव की बेटी माना गया है। कहते हैं कि सूर्यदेव ने अपनी प्रचंड गर्मी से खुद को बचाने के लिए ताप्ती नदी को जन्म दिया था। तापी पुराण अनुसार किसी भी व्यक्ति को सभी पापों से मुक्ति दिलाई जा सकती है, यदि वह गंगा में स्नान करता है, नर्मदा को निहारता है और ताप्ती को याद करता है। ताप्ती नदी का महाभारत काल में भी उल्लेख मिलता है। ताप्ती नदी की महिमा की जानकारी स्कंद पुराण में मिलती है।